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Sunday, February 23, 2020

"Surrogacy" कारोबार या परोपकार " आसान भाषा में

सेरोगेसी कारोबार या परोपकार
आये दिन अखबार कुछ ऐसी सुर्खियों से भरा रहता है ,जिसे पढ़ के निगाहें खुद बा खुद ठहर जाती है। ऐसा ही एक विषय सोशल मीडिया पर छाया हुआ है ,जिसकी हैडलाइन कुछ इस तरह है "शिल्पा शेट्टी 44 की उम्र में माँ बनी ", शिल्पा के घर आया एक नया सेरोगेट बच्चा , "फिर शिल्पा के घर आया बच्चा ". कुछ इस तरह गुजरे दिन अकबार की सुर्खिया देखने को मिली। अब जानने वाले तो जान गए जिन्हें इसका ज्ञान था पर लाखो की तादात में ऐसे भी है जिन्हें ये नही पता की अगर वो किसी शारीरिक दोष से पीड़ित हैं  और  उन्हें कोई शारीरिक अक्षमता है वो भी "surrogacy" तकनीक से संतान पा सकते है। क्या है "surrogacy"?? और भारत में इसके लिए क्या क्या कानून है ? कौन कौन "surrogate" मदर हो सकता है , और किन किन परिस्थितियों में surrogacy कानून के उलंघन के दायरे में आएगी और इस पर सजा का क्या प्रावधान,आज हम इन्ही सब बातो को सरल भाषा में जानेंगे। 

  क्या है SURROGACY और ये कितने प्रकार की होती है ?? 

 सेरोगेसी एक ऐसा अनुबंध है जिसके अंतर्गत ऐसे दम्पति जो किसी वजह से जैविक संतान (बायोलॉजिकल गर्भ धारण ) उत्पन करने में असमर्थ हो वो 'किराए की कोख' से अपनी संतान पा सकते है । किरये की कोख से तात्पर्य ऐसी महिला से है जो वास्तविक गर्भ धारण करने की इछुक हो । इस प्रक्रिया में पुरुष के शुक्राणुवो को ऐसी महिला जो गर्भ धारण (किराए की कोख) की इछुक हो उसके अंडाशय से निसेचीत किया जाता है । गर्भ धारण करने वाली महिला सरोगेट मदर कहलाती है। ऐसे में पिता का होने वाले बच्चे से सीधा जेनेटिक सम्बन्ध होता है।
  
  surrogacy 2 तरह की होती है:- 1.         Traditional surrogacy
 पीता के सुक्राणु को सरोगेट मदर के अंडाणु से निषेचित कराया जाता है ,इसमें पिता का बच्चे से जैविक सम्बन्ध होता है। 

  2. gestational surrogacy- इसमें माता पीता के अंडाणु और सुक्राणु को परखनली विधि से मेल करा के सरोगेट मदर के बच्चेदानी में प्रत्यारोपित किया जाता है । इसमें माता पीता दोनों का सम्बन्ध बच्चे से जेनेटिकली होता है।
 
2016 से पहले surrogacy अविवाहित महिला पुरुषो,लिव-इन में रहने वाले कपल और ऐसे लोगो के लिए उपलब्ध थी जो निसंतान है और बच्चे के इछुक है । परन्तु 2016 में surrogacy 2016 amendment बिल लाकर सरकार ने surrogacy के दुरूपयोग और सरोगेट मदर के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और अत्याचार को खत्म करने की कोशिश की । भारत में सेरोगेट मदर को ज्यादा अधिकार प्राप्त नही थे ,और जो अधिकार थे वो नाकाफी थे, यही वजह थी की ऐसे कई मामले आये जहा सेरोगेट मदर को blackmailing, दुष्कर्म, और पैसे उगाही का दोषी और पीड़ित पाया गया । सही मायने में ये तकनीक काफी पेचीदा थी। कुछ ऐसी समस्याए थी जिनपर सरकार के लिए रोक लगाना और surrogacy के मतलब दोनों को बदलना जरुरी हो गया था , 

 *कुछ असामाजिक लोग इसे भीक्षावृति के लिए इस्तेमाल करते थे , 
 *मानव तस्करी का एक अनोखा तरीका बन गया था 
 *लोग इसका बाज़रिकर कर रहे थे,जहा सेरोगेट मदर का मानशिक ,शारीरिक और आर्थीक शोषण होता था 
 *"ADOPTED" बच्चे को सम्पति के अधिकार में भेदभाव किया जाता था। 
 *विदेशी नागरिको के लिए कानून स्पस्ट परिभाषित नही थे । 

 इन्ही सब का निवारण करने के लिए सरकार surrogacy amendment बिल 2019 लेकर आई ।इसके माध्यम से सरकार ने surrogacy के कमर्शियल प्रारूप को परोपकार के सवरूप में बदल दिया । 

*अब सेरोगेट मदर किसी आर्थीक लाभ की अधिकारी नही होगी ,सिर्फ महिला जो माता-पिता के बेहद करीबी रिश्ते में है सेरोगेट मदर बन सकती है।

 *सेरोगेट मदर सिर्फ औसधि (गर्भ धारण करने से लेकर 17 माह तक ) और मेडिकल INSURANCE की हकदार होंगी। 

 *सेरोगेट मदर का पहले से कोई बच्चा होना चाहिए ,वो जिंदगी में सिर्फ एक बार surrogacy कर सकती है। 

 *उसकी उम्र 25 से 35 हो और उसके पास स्वस्थ्य प्रमाण पत्र हो । सरकार ने इछुक माता-पीता के लिए भी कुछ नियम एवं सर्ते स्पस्ट किया *माता-पीता भारतीय हो ,और विवाह के वर्ष हो चुके हो 

 *उनकी कोई जीवित संतान न हो (ADOPTED,SURROGATED,BIOLOGICAL) (अगर पहला बच्चा मानशिक अक्षमता का सिकार है ,या किसी दुर्लभ बिमारी का सिकार है उसे इसके अंतर्गत नही माना जाएगा ) 

 *माता की उम्र 23 से 50 और पिता की उम्र 26 से 55 के बीच हो इत्यादि ।

pic credit- Inshort (news app) 

 सरकार द्वारा तय सर्ते और नियम के अनुपालन में किसी प्रकार की कोताही पर सज्जा का भी प्रावधान है ,अगर कोई COMMERCIAL SURROGACY, SURROGATE मदर से blackmailing ,शुक्राणुवो के EXPORT, IMPORT या SURROGATE बच्चे के साथ किसी प्रकार के दुर्व्यवहार में पकड़ा जाता है तो उसे 10 साल की सजा, 10 लाख का जुर्माना या दोनों का भागी माना जाएगा । 


 निष्कर्ष- सारे तथ्यों के आकलन के बाद ये पता चलता है ,की भारत में surrogacy के नियम काफी सख्त है , परंतु सरकार ऐसे नियमों को लागू कराने में विफल रही है l अज्ञानता और जागरूकता का अभाव अब भी लोगो में है ।ऐसे दम्पति जो जैविक रूप से माता या पीता नही बन सकते , Surrogacy उनके लिए किसी वरदान से कम नही, आज भी दूर दराज गाँव में जब किसी महिला को संतान नही होता तो लोग उसका जीना हराम कर देते है ,कई मामलो में तो ऐसी महिला को ससुराल पक्ष या तो तलाक दिलवा  देता है या फिर जलाकर मार देते हैं l आखिर हर मामले में 'महिला' को ही दोषी माना जाता है , जबकि पुरुष भी जिम्मेदार हो सकते है । ऐसी तकनीके आज हमारे जीवन में आ चुकी है जो बेहद सरल और सुरक्षित भी है, सिर्फ जानकारी के अभाव की वजह से न जाने कितने महिलाओ और पुरुषो की जिंदगी बर्बाद  हो जाती हैंl सरकार अपनी जिम्मेदारी सिर्फ कानून बना के निभा देती है परन्तु उसके प्रचार और प्रसार से वो पल्ला झाड लेती है , इस लेख का सिर्फ एक मकसद है सही जानकारी को सही लोगो तक पहुचना । जितना ज्यादा हो सके ,SHARE करे ,फॉलो करे और हमे लिखे l

किसी सुझाव या सिकायत के लिए हमे लिखे - 


(SOURCES USED -https://www.prsindia.org/billtrack/surrogacy-regulation-bill-2019)

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