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Sunday, March 15, 2020

Digital india ,a dream which never comes true


Digital India-An Unveiled truth  

 
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                    आज बहुत सोचा और कइयो मैगजीन को चाट गए पर समझ नही आया की क्या लिखे फिर सोचा की क्यों न अंग्रेजी चैनल्स को खंगाला जाए ,वैसे भी पुराने वक़्त में जब देशी नुस्खे से बात नही बनती थी तो दादा जी कहते थे “अंग्रेजी try किये क्या “एक लेखक और इतिहासकार की यही समस्या है जब तक उसे यथार्थ वाली विषय-वस्तु न मिले वो कलम को टस से मस नही करता वो मसाला ढूंढ़ता है ,पाठको को भी तो यही पसंद है न। कम्बखत भला सच में कैसा मसालासच का एक ही रूप होता वो भी बहुत कड़वा ........


Digital India- A tail without Head 

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                    कल श्रीमती जी के साथ सैर सपाटे पर थे जब आप किसी महिला के साथ घर से बाहर निकलते है तो आपका पूरा ध्यान अपनी जेब पर होता है ,हो सकता है ये बात हमारे कुछ फेमिनिस्ट मित्रो को सही न लगे पर ये सत्य है। आप ये सोचते है की कब ये बाज़ार और दुकानों की लाइन खत्म हो और आप सेफ जोन में पहुंचे। इस भाव का किसी की आमदनी से कुछ नही लेना देना नही है। खैर जो भी हो चलते-चलते  हम एक रेस्टोरेंट में पहुंचे ,जो वहां का अच्छा रेस्टोरेंट माना जाता था । हमने खाना order किया और खाने बैठ गए। खाते वक़्त ध्यान में था की पेमेंट कैसे करनी है । इस 5.5 इंच के यन्त्र ने हमे पैसे न ढोने की प्रवृति का आदि बना दिया था ,जेब में गिनती के 350 रुपये थे । मुझे ठीक से याद नही की मैंने आखिरी बार किसी को 1000 रुपये नगद में भुगतान कब किया था ? मैं आश्वस्त था की जब तक की  ये यन्त्र है, मुझे नगद की क्या चिंता । खाना खाने के बाद जब बिल देने की बारी आई तो दुकानदार ने paytm, phonepe से पेमेंट लेने से मन कर दिया । गुस्से का अम्बार उमड़ कर सिर पर उभर आये थे । समझ नही आ रहा था की आखिर समस्या क्या है। पहले आदि बनाते हो और फिर अचानक से इनकार कर सारी व्यवस्था को धत्ता बता देते हो । उस दिन ऑटो वाले ने भी यही कहा “श्रीमान जी मुझे नगद चाहिए और किसी माध्यम से पैसे नही लूँगा । उस दिन कैशलेस इकॉनमी और digital India जैसे प्रोग्रम्म पर तरस आ रहा था। बात यही रुकनी नही थी बात दूर तक जानी थी .......


Digital India- a horse riding for cashless economy

            
                       अगस्त 2014 यही वो साल था जब डिजिटल इंडिया प्रोग्राम का अनावरत किया गया । ज्यादा डिटेल में नही जायेंगे । जब ये प्रोग्राम आया इसके मुख्य 4 लक्ष्य थे :-
1.    सभी सरकारी सेवाओ को e (इन्टरनेट) के माध्यम से आम लोगो तक पहुँचाना (सभी ग्राम पंचायतो को इन्टरनेट से जोड़ना )
2.    मोबाइल इन्टरनेट को बढ़ावा देना
3.    भारत की अर्थव्यवस्ता को डिजिटल लेनदेन की तरफ ले जाना
4.    सुचना और प्रद्योगिकी में निवेश को आकर्षित कर नए रोजगार सृजन करना


1.13 लाख करोड़ वाले इस भारी-भरकम निवेश में ऐसा बहुत कुछ था जो देखने में इतना लोकलुभावन था की बस पूछिए मत । ऐसा लग रहा था की देश में अब सिर्फ कंप्यूटर के अलावा कुछ नही चलेगा ही नही  । सारी इन्टरनेट सेवाए सस्ती हो जायेंगी । 5 साल में इतना बड़ा निवेश और उसमे आम लोगो की भागीदारी का आधा अधुरा खांका सरकार ने पेश किया । यहाँ पे ये बताना बहुत जरुरी है की जब भी जनकल्यानकारी योजनाये आती है तो जनमानस को ये बताना की ये क्यों है और कैसे है और किस तरह धरातल पर काम करेंगी ये  बताना उस योजना या नीति के सफल होने की नीव होती है । परन्तु दुर्भाग्यवश आजादी के बाद से लेकर अब तक सरकार इस मोर्चे पे विफल रही है । यही वजह है की आम जन से लेकर आला अधिकारी हर मोर्चे पर संघर्ष करते हुवे नज़र आते है ।  Digital India प्रोग्राम भी इससे अछुता नही था । सरकार 5 साल बीत जाने पर भी अब तक इस programme का जनमानस पर प्रभाव को रेखान्कित नही कर पाई है ।


Digital India and Demonetization- a new way to curb the corruption ????

 
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 दिसम्बर 2016 में केंद्र की मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया । सरकार के इस फैसले से अर्थजगत और आम आदमी टूट सा गया । सरकार समर्थीत लोगो का कहना था की इससे आर्थीक तंत्र से नकली नोटों को को अलग करने में और काले धन को खत्म करने में सहायता मिलेगी । 

कुछ इकोनॉमिस्ट ने इसे कैशलेस इकॉनमी की तरफ पहला कदम बताया । ये फैसला सही भी साबित हुवा आइये जानते है कैसे :-



भारत की सभ्यता का नाश



1.paytm एक फाइनेंसियल कंपनी जो पिछले 600 दिन में सिर्फ 120 मिलियन यूजर बना पाई थी उसने मात्र 60 दीनो में 280 मिलियन यूजर बना लिए ।
2. जल्दीबाजी में लोगो ने मनी transactions के एक नए माध्यम को अपनाया ,बाज़ार में paytm के अकाउंट खुलवाने के लिए लोगो ने दुकानदारों को धडले से पैसे दिये । paytm की एक दिन की आमदनी लगभग 120 करोड़ से ज्यादा की थी ।

3 नोट्बंदी के वक़्त बैंक में पैसे जमा करने की लाइन  इतनी बड़ी थी की लोगो ने अपने पैसे को जैसे तैसे बैंक में जमा किया या फिर नोट के मूल्य से कम कीमत पर इसका निपटारा किया ।

4.Kiosk या फिर मिनी शाखाओ ने आम आदमी के बचत खाते से हजारो का घपला किया । कई मिनी शाखाओ ने 10:100 के लाभ पर नोटों को खाताधारक के खाते में जमा किया ।


सरकार ने जैसे जैसे लोगो के गले में कैशलेस और digital india की  लाल घंटी तो बाँध दी पर न ही कोई प्रशिक्षण की व्यवस्था की और न ही उतने बड़े लेवल पर जारुकता अभियान चलाया । नतीजन phonepe ,paytm जैसी कंपनियों ने जमकर लोगो की मज़बूरी पर अपनी ब्रांडिंग की और जम कर चांदी काटी । एक वक़्त ऐसा भी आया की विपक्ष को कहना पड़ा की ये कंपनियां प्रधानमंत्री को पैसे खिला रही है । बड़े बड़े वादों के साथ digital India कैंपेन चलता रहा । सरकार ने POS मशीनों की जमकर बिक्री की ,ठेके दिए गए ,पूरा बाज़ार paytm, और phonepe के QR codo से भर दिया गया । 2.5 वाले फीचर फ़ोनों से पैसे ट्रान्सफर करने और पेमेंट करने को कहा गया ।
 सबकुछ हुवा पर आम आदमी पिस्ता रहा । अफरातफरी का माहौल बना । ज्ञान वाले बंदरो ने जमकर लूट मचाई ।
आम जनमानस पर नोट बंदी और digital india के अंतर्गत कैशलेस इकॉनमी का सपना बिलकुल तपती धुप में रेत पर चलने जैसा बनकर रह गया ।



Digital india- A truth beyond imagination


अब सरकार के उन सपनो की जरा खोजबीन कर ली जाए जिसके तहत digital india campign की शुरुवात हुई थी....

सामाजिक और सरकारी e सेवाएँ- सरकार ने digital india के तहत 2.5 लाख आम जनसुविधा केंद्र खोलने का आह्वान किया ।
 सरकारी आंकड़ो में अभी तक 255887 जनसुविधा आई०डी परिचालन में है । सारी सरकारी सेवाएँ जो ब्लाक लेवल पर मामूली फीस पर उपलब्ध थी वो इन केन्द्रों के हवाले कर दी गई ,संचालको ने मनमाने ढंग से लोगो से फीस उसूली की और कर रहे है । जो बीचोलिये पहले ब्लाक में थे अब वो बीचोलिए csc संचालक और ब्लाक में mediator का काम करते है ।

ऐसा बिलकुल  नही है की पुरे देश की स्थिति जैसी रही दक्षिण के राज्यों ने इस मामले में काफी अच्छा प्रदर्शन किया।परन्तु पूर्वोतर के राज्य जो पारदर्शिता की धज्जियाँ उड़ाते है उन्हें जनता को लुटाने का DIGITAL तरीका मिल गया ।

शिक्षा के क्षेत्र में digital India 

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pic credit-दैनिक भास्कर

                          समय की बचत के लिए सारे प्रतियोगी परीक्षाओ को ऑनलाइन कर दिया गया । ये कुलमिलाकर पहले  जो फॉर्म भरने के बाद कॉल लैटर न आने की खामियां थी उनको तो दूर करता था परन्तु इसने भ्रष्टाचार के एक नए तरीके को जन्म दिया । आइये जानते है कैसे
1.पेपर पेन method में आप किसी गड़बड़ी पर अपनी उत्तर पुस्तिका के माध्यम से किसी गड़बड़ी या गलत कापी चेक होने का दावा कर सकते थे । यहाँ उत्तर बदलने के बहुत कम अवसर थे परन्तु ऑनलाइन में आप ये सिद्ध नही कर सकते ।
2. हजारो ऐसी शिकायते आई जहा पर परीक्षा के दौरान किसी और के स्थान पे कोई और परीक्षा दे रहा हो ,ये ऑफलाइन तरीके में भी था ,फिर फर्क कहा आया ऑनलाइन में । चाहे हरियाणा की पुलिस भरती हो या फिर उत्तर प्रदेश की सरकारी भर्तिया हाजारो सिकायते ऐसी आई जहा cutt-off काफी ज्यादा था । दावे करने वाले साबित तक नही कर सकते थे ,क्योकि कोई हार्ड कॉपी एग्जाम की थी ही नही ।
3.परीक्षा के फ़ार्म की लागत Digital India के बाद और बढ़ गई जबकि इसके उलट होना चाहिए था, सरकार एग्जाम करने के लिए ठेके आवंटित करती है ,जिसके लिए उसे एजेंसी को मोटी रकम चुकानी पड़ती है ,कई कंपनियों के लिए ये एक नया कारोबार बन गया जिसका सारा भार विद्यार्थियों के कंधे पर डाल दिया गया ।

Digital India के बाद कई संचार कंपनी तबाह हो गई


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                 इसे संयोग ही कहा जाएगा या रणनीति की नोट्बंदी से ठीक कुछ माह पहले जिओ (रिलायंस कम्युनिकेशन) बाज़ार में आई । उस वक़्त तक डाटा मूल्य बहुत ज्यादा हुवा करते थे ,जिओ ने कस्टमर बढाने के लिए खुल कर मुफ्त की रेवडियो की तरह कनेक्शन और डाटा मुफ्त में बांटा । बड़े बड़े वादे के साथ आई जियो के पास अथाह पैसा था उसने खुल कर लुटाया । छोटी पूंजी की कम्पनीज जैसे aircel (इन्टरनेट की भारत में जनक ) , tata docomo, Telenar, MTS और न जाने कितनी कंपनी उससे प्राइस वार में टिक
नही पाई और उन्हें अपना कारोबार बंद करना पड़ा । ये सब कुछ सरकार की आँखों के सामने होता रहा ।हजारो लोगो के रोजगार छीन गए ,कस्टमर को दुबारा सिम को पोर्ट करवाने के लिए दुकानदारो के चक्कर काटने पड़े ।

वो jio जिसने पहले मुफ्त के मुर्गे की तरह लोगो को डाटा आदि बनाया अब वो मंथली प्लान के बाद भी हर कॉल पर 6 पैसे वसूल रही है ।
ये वोही जिओ जिसने TRAI को प्रति GB डाटा का मूल्य 21 रुपये करने का सुझाव दिया है । माली हालत खराब होने की वजह से आईडिया-vodafone, और एयरटेल को अपने assestes बेचने पड़े और अब ये बंद होने की कगार पर है ,बीएसएनएल को सरकारी फण्ड से चलाया जा रहा है ,शुक्र है  सरकार ने इसे बेचा नही ,रोजगार सृजन तो हुवा नही  परन्तु रोज़गार छीन जरूर जाता  । पूरी संचार व्यवस्था धराशाई हुई पड़ी है ,DTH के मूल्य दुगने कर दिए गए सहूलियतो के नाम पर । Digital India सिर्फ कागजो में सुनहरा सपना बन कर रह गया है । 100 रुपये वाले केबल के जब 400 देने पड़े तो लगता ही है ।


Digital India का सच 

 
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 pic credit-amar ujala

           निष्कर्ष- ऐसा नही है की हर चीज़ बुरी होती है कुछ अच्छा भी होता है ,इसके भी कुछ अच्छे पहलु है ,जिओ ने ऐसे यूजर को खड़ा किया जो आज पूरा पूरा दिन TIk-Tok, FB और इन्स्टा पर धमाल मचा सकता है । बड़े आकर वाले फ़ोनों के निर्माण  और विदेशियों कंपनियों ने मिलकर एक ऐसी कतार खड़ी कर दी है जहा लोग खड़े तो है पर खुद को परिभषित नही कर सकते । 

            ऑनलाइन-मूवी कंटेंट की डिमांड ,ऑनलाइन  स्टडी क्लासरूम, ऑनलाइन कोर्सेज की मांग में काफी बढ़ोतरी हुई है । सरकार की e मार्केट हो खाद्यानो को बेचने के लिए ,या फिर इ क्रांति का सिद्धांत हो ,skill इंडिया प्रोग्राम हो फिर ऑनलाइन सरकारी सेवाओ का निर्गम हो, अगर सबको लिखने की कोशिश किया जाए तो एक दिन में ये कहानी खत्म नही होगी और यकीन मानिए बड़े छेद है इस सिस्टम में । मैं एक आम उपभोक्ता हु ,मुझे सरकारी सेवाओ का हक है, मैं digital होना चाहता हु is digital india me  ,बस उलझना नही चाहता
 
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        बाजारों को कैशलेस के पोस्टरों से ,मॉल ,हॉल और दुकानों को upi और QR code से भर देने भर से इंडिया Dgital india नही होगा ।आपके हर फैसले में एक थोपने जैसी चीज़ नही होनी चाहिए है ,आप धरातल पर पहले विश्लेषण करे और पाए की क्या लोग उस चीज़ के लिए तैयार है । आप फ्लेक्सिबल नीति के साथ कठोर कानून बनाये की जो कैशलेस के माध्यम से पैसे या भुगतान स्वीकार नही करेगा उसे कुछ कैपिटल पनिशमेंट दिया जाएगा । 

आप इश्तिहार लगाए ,लोगो को जागरूक करे ,छोटे छोटे प्रोग्राम आयोजित ताकि आम जन की भागीदारी को बढाया जा सके । आज भी 80 प्रतिशत जनता अपनी कमाई को एक जगह से दुसरे जगह भेजने के लिए तय मूल्य से ज्यादा शुल्क अदा सर्वर दिखाकर लूट रहे है । विद्यार्थी चक्कर काट रहे है , बैंक बर्बाद हो रहे है ,बैंक का सर्वर हमेशा की तरह ग्राहक को दूसरी बार बुलाता है ,फेक न्यूज़ के पोर्टल और सोशल मीडिया  अकाउंट दंगे करवा रहे है , आपके इरादे साफ़ है परन्तु नीतिया गलत है ,हर आजादी के साथ कुछ कर्तव्य जुड़े हुवे होते है कभी ये लोगो द्वारा निभाये जाते है तो कभी  सरकार को इसके अनुपालन के लिए कानून बनाने पड़ते है ,सरकार दोनों मोर्चो पर विफल रही है ये सिर्फ खींझ नही हो सकती मेरे मन की ,और न मैं कोई मंद बुद्धि भारतीय हु, मैं तो वो हु जो सच को सच और बुरे  को बुरा कहना जानता है ,हो सकता है की मेरी कही बाते गलत हो ,पर जनाब सब कुछ गलत तो नही होता न, गलत में कुछ सही भी होता है
 धीरे धीरे डिजिटल पेमेंट लोगो ने स्वीकार करने बंद कर दिए है ,जिस मोटिव के साथ नोट्बंदी हुई उसके परिणाम सबके सामने है ,इस बार के बजट में भी लगभग 3158 करोड़ रुपये digital india के खाते में आये है ,मतलब साफ़ है फिर से ढोल पीटने का काम होगा पर आवाज़ नही आएगी.........

नो ट-इस आर्टिकल का मतलब किसी की भावनाओ को ठेस पहुचाने या किसी की छवि ख़राब करने का बिलकुल नही है ,ये लेखक के अपने एक्सपीरियंस और विचार है ,अगर किसी को इससे ठेस पहुचे तो इसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा

अपने सुझाव या विचार हमे ।लिखे अगर आप भी अपनी कोई कहानी हमारे साथ सांझा करना चाहते है तो हमे लिखे  agendasocial121@gmail.com

(purvi)




















  
 









 






           
  
          
        

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