आज के नौजवान और अनैतिक कार्य (part-2) - tHink sOcial Agenda

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Sunday, February 2, 2020

आज के नौजवान और अनैतिक कार्य (part-2)

वह लड़का बहुत ही शातिर दिमाग का था। जब वह अपने मां-बाप के साथ रहता था। ना जाने यह सिलसिला कब शुरू हुआ लेकिन दूसरी जगह नौकरी करने से 5 महीने पहले उसमें एक दम से बहुत बदलाव आया।उसके ऑफिस का समय सुबह 10:00 से शाम के 6:00 बजे का हुआ करता था लेकिन पहले वह 5 बजने में कुछ मिनट रह जाता था तो उससे पहले ही ‌वह घर आ जाया करता था।

                           लेकिन फिर जैसे ही उसकी जिंदगी में दूबार किसी लड़की का आना हुआ। उसके व्यवहार में बहुत बदलाव आया। अब वह ऑफिस से 9:00 या 10:00 बजे तक घर आया करता था। ऑफिस में समय साथ गुजारने के बाद वह अक्सर कहीं बाहर घूमने के लिए निकल जाया करता था मैडम जी के साथ और फिर शनिवार और रविवार छुट्टी होती थी।

                             पहले शनिवार के दिन अक्सर वह घर पर रहा करता था। लेकिन अब मैडम जी के साथ लॉन्ग ड्राइव पर निकल जाया करता था। उससे मिलने के लिए कभी शॉपिंग के बहाने, कभी दोस्त से मिलने के बहाने वह अकसर घर से गायब ही रहता था। वह यह बात बहुत अच्छे से जानता था कि कोई उससे पूछने वाला नहीं है कि वो कहां जा रहा है?। किसी को कोई मतलब नहीं और ना ही खबर होती थी। अगर कोई जान भी जाता तो कहानियां बनाने में जनाब माहिर थे। कोई भी कहानी बनाकर बोल देता था और अपना पल्ला झाड़ लेता था बात वही खत्म हो जाती थी।

                     हालांकि यही काम अगर उनके घर की लड़कियों ने किया होता तो उसको यह सब चीजें बिल्कुल पसंद नहीं आती और फिर उन्हें अच्छा-बुरा, समाज में प्रतिष्ठा, अपने घर की इज्जत सब चीजें याद आ जाती और घर में भूचाल आ जाता। लेकिन खुद के लिए सब जायज था। क्योंकि यह उनकी जिंदगी थी, उनके अपने अधिकार, उनके अपने फैसले हालांकि यह सब चीजें उन्हें दूसरों के लिए नजर नहीं आते थे की उन्हीं की तरह दूसरों की भी अपनी निजी जिंदगी होती है।

                       उस लड़के को खुद लड़कियों से बातें करना, उन्हें घुमाना और उनके साथ घूमना, घर पर धार्मिक स्थानों के घूमने के बहाने झूठ बोलकर उनके साथ घूमने निकल पड़ना और रातें गुजारना बहुत अच्छा लगता था उसे। उसके सुबह की शुरुआत मैडम जी के फोन कॉल और मैसेज से ही होती थी। जनाब सुबह उठते ही फोन देखा करते थे। अपनी मैडम जी को प्यारा सा गुड मॉर्निंग विश किया करते थे। नहीं तो बिस्तर पर पड़े -पड़े फोन पर ही हाल-चाल पूछ लिया करते थे। अगर एक पल के लिए जनाब फोन नहीं करते थे। तो मैडम जी बेचैन हो जाया करती थी फिर वही फोन कर लेती थी और फिर दोनों की बात-चीत शुरू हो जाया करती थी धीमी-धीमी आवाज में।

                                 ऐसा नहीं था कि फोन पर बात सिर्फ सुबह ही हुआ करती थी। जनाब 24 घंटे फोन और लैपटॉप पर व्यस्त रहा करते थे। ना जाने कौन सी ऑफिस की ऐसी मैडम थी जो 24 घंटे उपलब्ध रहा करती थी। सुबह उठते ही फोन पर बात-चीत तो शुरू हुआ ही करती थी। वह अपना फोन अब 1 मिनट के लिए भी अपने से दूर नहीं रखता था। यहां तक कि जब टॉयलेट जाया करता था तो अपना फोन साथ ले जाया करता था। ब्रश करते समय उनकी चैटिंग जारी रहती थी। सिर्फ एक नहाते वक्त ही उनका फोन उनसे दूर रहता था या उनकी बात-चीत बंद रहती थी।  वरना पूरे दिन भर वह फोन या लैपटॉप पर व्यस्त रहा करता था।

                      जब फोन की बैटरी खत्म हो जाया करती थी तो वह लैपटॉप पर व्यस्त हो जाया करते थे। ये वही शख्स था जो समय खत्म होने से पहले ही घर पर आ जाया करता था लेकिन फिर बाद में (वह उस लड़की को लोगों के सामने मैडम जी कहकर बुलाया करता था ताकि दूसरों को लगे कि वह किसी काम के सिलसिले में किसी लड़की से बात कर रहा है ) 9,10, 11:00 बजे तक घर आता था और अपने बचाव में बोलने के लिए हमेशा कहानी तैयार रखता था।

                                    मैडम जी के आने से पहले वह अपना फुर्सत का समय किताबों को पढ़ने में या फिर किसी काम की चीज में लगाता था। अब वह 24 घंटे मैडम जी के साथ फोन और लैपटॉप पर चैटिंग और बात-चीत करने में गुजारा करते थे और बेहद ही खुश रहा करते थे। मैडम जी से बात करके उनका दिल एकदम खुश हो जाएगा तथा चेहरे पर एक अच्छी मुस्कान आ जाया करती थी हालांकि यही चीज अगर कोई दूसरा करता तो पसंद उसे पसंद नहीं आता। जिस लड़के को पहले यह खबर नहीं होता था कि उसका फोन कहां है। अब वह उठते -बैठते, सोते-जागते फोन और लैपटॉप पर चिपका रहता था।

                                  क्लब,पार्टी, डिस्को में जाना उसका पहले से ही शौक था और वह जाया भी करता था लेकिन अब ज्यादा होने लगा था। जो लड़का एक-एक रुपए बचाया करता था। कपड़े फट जाने पर भी अपने कपड़े नहीं खरीदा था। अब वह हर सप्ताह कपड़ों की खरीदारी करता था। मैडम जी को लेकर शॉपिंग के लिए जाया करता था। कैसे अच्छा दिखना है,क्या पहनना है इन सब चीजों पर उसका ध्यान बहुत ज्यादा रहता था।जो जिम में 1 घंटे समय लागाया करता था।अब वह जिम में 3 से 4 घंटे लगाया करता था। हालांकि यह कोई जरूरी नहीं था कि वह जिम ही जाया करता था। जो अपनी फिटनेस को लेकर बहुत ही सतर्क रहता था। अब वह मैडम जी के साथ डिनर पर या कहीं घूमने जाने पर कुछ भी खा-पी लिया करता था। रात भर जगा करता था। अपना स्वास्थ्य खराब करने को भी तैयार था वरना उसने इतनी कुर्बानियां तो अपने घर के सदस्यों के लिए भी नहीं दिया।

                           अब उनकी हर महीने बाहर घूमने जाने की ट्रिप होने लगी थी। पहले वह कहीं भी जाया करता था तो पूरे खानदान में ढिंढोरा पीट कर आता था कि वह घूमने जा रहा है कहां जा रहा है कितने लोगों के साथ जा रहा है सब बताया करता था सबको, जो कि दो-तीन दिन में ही वापस आ जाया करता था। लेकिन अब चुपचाप दबे पांव ही निकल जाया करता था और पूरा 1 सप्ताह के लिए जाया करता था और अच्छा-खासा समय गुजार कर आया करता था। क्योंकि अब मैडम जी थी तो उनके साथ समय गुजारना होता था, रातें गुजारनी थी।और जनाब कहां जा रहे हैं, किसके साथ गए हैं यह सब देखने के लिए होता ही कौन था। तो जनाब बिना किसी चिंता के, बिना किसी फिकर के मस्ती से रहते थे। वैसे भी उसके घर में उसे पूरी आजादी थी अपने हिसाब से जिंदगी जीने की। क्योंकि कोई भी उसे कुछ भी नहीं बोलता था। यह बात वह बहुत अच्छे से जानता और उसी बात का वह बहुत फायदा उठाता था। हालांकि मैडम जी को भी चैन नहीं आता था वह भी तैयारी रहती थी।

                     सुबह उठने से लेकर (हालांकि वह सोते ही नहीं थे, न जाने कब सोते थे) रात की 3,4 बजे तक फोन और लैपटॉप पर व्यस्त रहता था। लेकिन असली कार्यक्रम तो रात को शुरू होता था। एक दिन अचानक ही उसने अपने कमरे का सारा हुलिया ही बदल दिया। जो बेड कमरे की बीचो-बीच हुआ करता था। अब उसने कमरे के एक कोने में लगा लिया था। दीवार और टेबल पर जितनी भी चीजें मौजूद थी उसने उन सब को हटा दिया था। यह सब करने के पीछे उसका एक इरादा था कि कोने में बेड लगा देने से वह क्या कर रहा है किसी को कुछ पता नहीं चलेगा और ना ही लोगों की निगाहें उस पर जाऐगी। रात होते ही वह अपने कमरे के दोनों तरफ के दरवाजे की कुंडी लगा लिया करता था ताकि कोई भी कुछ ना देख सके और ना ही उन्हें डिस्टर्ब कर सके ताकि बिना किसी रूकावट के उसका अपना कार्यक्रम जारी रह सके। जनाब लैपटॉप पर मैडम जी की के द्वारा भेजी गई फोटो को निहारा करते थे तो कभी अपनी फोटो मैडम जी को भेजा करते थे, जिस जगह पर वह घूम के आया करते थे उसकी फोटो देखा करते थे। रात के 12:00 बजते ही मैडम जी का फोन आ जाया करता था और जनाब रात के 3,4 बजे तक बिस्तर में पड़े-पड़े खुसर-फुसर किया करते थे। उन्हें लगता था जिस धीमी आवाज में वो बात कर रहे हैं वो किसी को सुनाई नहीं दे रही लेकिन वह गलत थे (उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि कोई है जो उनकी सारी करतूतों के बारे में जानता है और वह क्या कर रहे हैं कहां जा रहा है सब जानता था क्योंकि वह हमेशा 24 घंटे उसके आसपास मौजूद रहता था)। अगले दिन क्या-क्या करना, कहां जाना है इन सब चीजों की प्लानिंग चलती रहती थी।

                          

                             

                                           

            

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