आधुनिक अविष्कार, मशीनें और इंसान। - tHink sOcial Agenda

On this blog, we provide you the best accurate information of the trending social issues

Random Posts

test banner

Breaking

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Post Top Ad

Responsive Ads Here

الثلاثاء، 7 يناير 2020

आधुनिक अविष्कार, मशीनें और इंसान।

ऐसा माना जाता है। बुद्धिजीवी लोग मानव समाज के लिए काम करते हैं। जैसा एक साइंटिस्ट अविष्कार करता है। और यह भी कोई जरूरी नहीं है कि आविष्कार सिर्फ साइंटिस्ट ही करता है। इस दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो हुनरमंद है। और अपने घर पर रहकर ही ऐसे अविष्कार किए हैं जिसे एक डिग्री हासिल वैज्ञानिक को करने के लिए एक लंबे-चौड़े प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है । पहले वह स्कूल जाता है, कॉलेज जाता है, डिग्रीयां हासिल करता है। फिर कहीं जाकर वो इस लायक बन पाता है। कि वह लोगों को कुछ दे पाए या जिससे लोगों की जिंदगी आसान बनाने में मदद कर पाए।
                     मेरा यह सब कहने का बिल्कुल भी यह मतलब नहीं है। कि अब किसी को स्कूल या कॉलेज ही नहीं जाना चाहिए। मेरा कहने का सिर्फ इतना मतलब है। की इस दुनिया में कई हुनरमंद लोग हैं। जिन्हें कुछ करने के लिए किसी डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है। वो बिना किसी स्कूल और कॉलेज ग‌ऐ उन्होंने बड़े-बड़े आविष्कार किए हैं। मानव समाज के लिए बहुत अच्छे काम किए हैं और कर रहे हैं।
                  एक तरफ ऐसा बोला जाता है। कि हमारे महान वैज्ञानिक अनोखे आविष्कार कर रहे हैं। मानव जाति के भलाई के लिए काम कर रहे हैं।लेकिन ज्यादातर अविष्कार ऐसे हैं। जो की तत्कालीन समाधान तो करते हैं। बदले में दुनिया भर की बीमारियां और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं ।उदाहरण के तौर पर एयर कंडीशनर का आविष्कार गर्मी से निजात दिलाने के लिए किया गया था। लेकिन एक लंबे समय तक एसी में बैठने से क‌ई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है। जैसे जोड़ों में दर्द, मोटापा, त्वचा संबंधित समस्याएं, रक्त संचार मस्तिष्क असर डालती है आदि समस्या  है।
                इंसान के सोने से लेकर उठने-बैठने ,चलने-फिरने, खाने-पीने में मशीनों का ही सहयोग रहता है।मानवजाति आधुनिक आविष्कार और मशीनों के बीच बंध के रह गई है। जो कि बहुत ही खतरनाक मंजर है।इंसान पुरी तरह से  मशीनों पर निर्भर हो चुका है। यह उनके जीवनशैली और शरीर को खराब कर रहा है।
                    एक बात थोड़ी अजीब और नापसंद जरूर लग सकती है। लेकिन इंसानों के जीवनशैली को और उनके काम को आसान बनाने के लिए किए गए मशीनों के आविष्कार ने उनकी जिंदगी को बहुत प्रभावित किया है। जिसे मानव जाति कुछ पल के समय को बचाने के लिए इस्तेमाल करती है। जैसे कपड़े धोने वाली मशीन, ऐसी, माइक्रोवेव, रोटी बनाने वाली मशीन इत्यादि।                        प्रकृति में जो कुछ चीजें प्राकृतिक रूप से मौजूद है। इंसान उसका इस्तेमाल नहीं करता। सीधी सी बात है मुफ्त की चीजें किसी को पसंद नहीं आती अगर वही चीज एक अच्छी खासी रकम अदा करके मिलती है तो उसकी कीमत होती है। हम सब इन सब चीजों के आदी हो गए हैं। एक दिन ऐसा आएगा जब इस धरती पर इंसान से ज्यादा मशीनें दिखाई देंगी इंसान इनके अधीन काम कर रहे होंगे।
                             लेकिन हर किसी को यह सोचना चाहिए कि जो काम हम अपने स्तर पर कर सकते हैं या अपने हाथों से कर सकते हैं‌। उसके लिए हमें मशीनों का सहारा नहीं लेना चाहिए। मशीनों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। क्योंकि यह हमें शरीरीक और मानसिक तौर पर बीमार बना रही हैं। जितना ज्यादा संभव हो सके प्रकृति और कुदरत द्वारा बनाए गए चीजों और नियमों का पालन करना चाहिए। उन्हें अपनाना चाहिए।
               मशीनों से हमें दूरीया नहीं बनाना चाहिए। लेकिन पूरी तरह से हमें मशीनों पर निर्भर भी नहीं रहना चाहिए। हमें मशीनों और प्राकृति के बीच तालमेल बना के रखना चाहिए।

هناك تعليق واحد:

Post Top Ad

Responsive Ads Here