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الاثنين، 30 مارس 2020

Lock down- Is it indispensable in nature ????


Lock down- Is it indispensable in nature ??

lock down
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                                     आज जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस से पीड़ित है। तो हर व्यक्ति घरों में lock down  रहने के लिए मजबूर है। इतनी गंभीर महामारी फैलने के बावजूद लोग घरों में रहना नहीं चाहते। कुछ लोग इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हमारी सरकार लोगों को सतर्क कर रही है और अपने स्तर पर काम कर रही है लोगों को घर में रहने की नसीहत दे रही है।  लोग lock down  को हल्के में ले रहे हैं। कितनी अजीब बात है अगर सरकार कुछ करती है, कुछ कहती हैं, तो लोग उसका पालन नहीं करते और अगर सरकार कुछ ना करें तो लोगों की शिकायत होती है की सरकार ने हमें इस विषय में पहले कोई जानकारी नहीं दी। तो इससे साफ जाहिर होता है कि लोग अपने आप को हर तरह से सही साबित करना चाहते हैं। चाहे गलती भले ही लोगों की ही क्यों ना हो। यही मर्ज़ी सरकार द्वारा घोसित lock down में देखा जा रहा है ।

Lock down की जरूरत क्यों पडी ??


                सोचने वाली बात है। इस कोरोना वायरस की महामारी ने 206 देशों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। जिसमें चाइना, इटली, स्पेन, जर्मनी, ईरान आदि देशों की बहुत ही बदतर हालत हो गई है।जहां पर लाशों के ढेर के सिवाय कुछ नहीं दिखाई देता और हमारे यहां के लोग हैं कि बात को गंभीरता से लेने की बजाय मजाक किए जा रहे हैं।

                  lock down की वजह से कुछ लोगों को अर्थव्यवस्था की बहुत फिक्र है।कुछ लोगों को राशन-पानी की, किसी को अपने बिजनेस की फिक्र है, तो किसी को अपने घर-परिवार की । जरा सोच कर देखिए जब जान ही नहीं बचेगी तो इन सब चीजों का क्या मतलब रह जाएगा। फिलहाल के लिए जो जरूरी है वह यह है कि खुद को सुरक्षित रखना। खुद की जान बचाना। वह कहावत तो सुनी होगी "जान बची तो लाखों पाए" ।


अगर सरकार lock down न करती तो क्या ???

lock down
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                       करोना वायरस से होने वाली मौत कितनी दर्दनाक होती है कि मृत व्यक्ति के घर के परिजन शव को हाथ तक नहीं लगा सकते। पूरे विश्व में इटली मेडिकल में सेकंड नंबर पर आता है। वहां पर लाशों की लाइन लगी हुई है। वहां की सरकार लाशों को ठिकाने लगाने के लिए व्यवस्था नहीं कर पा रही है। वहां की सरकार लाशों को दफनाने के लिए प्राइवेट जमीन खरीद रही है। उसका इतना बुरा हाल हो सकता है। तो अगर यह महामारी हमारे यहां पर इसी तरह फैल गई तो हम क्या करेंगे। जहां पर पर्याप्त हॉस्पिटल नहीं हैं और ना ही डॉक्टर। हम अपने आप को लाचार महसूस करेंगे।


Lock down की सार्थकता को समझिए 


                  लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है ? यह महामारी भारत में आई कैसी ? यह गंभीर भयानक महामारी , खतरनाक बीमारियां हमारे देश आती कैसे हैं ? हमेशा गंभीर और भयानक बीमारियां बाहर विदेशों से हमारे देश में लाई जाती हैं। लेकिन यह लाता कौन है ? 2019 के दिसंबर में जब कोरोनावायरस चीन के वुहान शहर में फैला था। उस समय पुरी दुनिया में लोगों को इस बात की भनक थी। इसके बावजूद भी हमारे देश से अधिकतर लोग बाहर फेस्टिवल मनाने के लिए गए, दूसरे देशों में पार्टी करने के लिए गए, फंक्शन अटेंड करने के लिए गए। जब उन देशों की हालत खराब होने लगी। जब वहां महामारी फैल गई तो वहीं लोग वापस अपने देश मौत का फरमान लेकर आए।

किसने मजबूर किया lock down के लिए ??



lock down
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               कई ऐसे माता-पिता जिन्होंने अपने बच्चों को बाहर पढ़ने, नौकरी करने के लिए भेजा था। जिनकी  ऐसी सोच होती है। कि भारत बेकार देश है, यहां सुविधाएं नहीं है, अच्छे स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटी नहीं है। ऐसे ही लोग अपने बच्चों को बाहर पढ़ाई और नौकरी के नाम पर भेजते है। और जैसे ही वहां कोई त्रासदी आती है, कोई महामारी फैलती है तो फिर उन्हीं लोगों को अपना देश याद आने लगता है। जिस देश को भला-बुरा कहकर जाते हैं। हमारे देश में करोना वायरस नहीं था। यह बीमारी यह लोग लेकर आए हैं ऐसे लोग इतनी घनी आबादी के लिए मौत का फरमान लेकर आए। जिन्होंने देश को दिया कुछ भी नहीं।  क्योंकि ऐसे लोगों के अनुसार भारत बहुत अच्छा देश नहीं है तो ऐसे लोग भारत वापस क्यों आए ?सरकार को मजबूरी में lock down करना पड़ा ।कुछ सेवाओं को छोड़कर 

                    ऐसे लोगों के पास अपार धन था तभी तो वह लोग बाहर पढ़ाई करने के लिए गए और जब वहां पर करोना वायरस  फैल गया। तब उन्हें अपने देश और घर की याद आने लगी ऐसे लोग जो खुद तो विदेशों में करोना वायरस से संक्रमित थे ही और भारत में आकर यह बीमारी ले आए। ऐसे लोगों को वहीं रहना चाहिए था। जिनके परिजनों को अपने बच्चों की परवाह थी उन्हें वहीं चले जाना चाहिए। उन लोगों की वजह से कम से कम  करोना वायरस भारत में ना आता।

                ऐसे लोगों के वजह से आज हमारे सैनिक, पुलिस, डॉक्टर, सरकार सबको बहुत हि मशक्कत करनी पड़ रही है, तकलीफ उठानी पड़ रही है, और यह सब लोग इन लोगों की वजह से हो रहा हैं।


lock down
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  डॉ ए.पी.जे अब्दुल कलाम जो एक वैज्ञानिक और इंजीनियर थे। उन्होंने अनुसंधान और संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम किया। भारत में उनकी देख-रेख में कई परमाणु परीक्षण किए गए। जिनकी वजह से दुनियाभर में भारत की एक अलग पहचान बनी। जिन्होंने देश बहुत कुछ दिया। जिसे दुनिया "मिसाइल मैन" के नाम से जानती है। एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले महान शख्सियत ऐसे लोगों के मुंह पर चांटा है जो भारत को यह कहकर दुत्कारते है, कि भारत में अच्छे स्कूल-कॉलेज नहीं है, यहां पर तमाम सुविधाएं नहीं है, और पढ़ाई करने के बहाने विदेश चले जाते हैं और वहीं पर बस जाते हैं। जहां पर वह अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं। जिस देश के किसानों ने ऐसे लोगों को खिलाया-पिलाया और जहां से इन लोगों ने तमाम तरह की चीजें उपलब्ध की, उसे बदले में देते कुछ भी नहीं है उल्टा उसकी बुराई करते हैं।अन्य देशों के लोगों के सामने अपने ही देश का मजाक उड़ाते हैं और यह सब करते हुए उन्हें शर्म नहीं आती है। ऊपर से अपने आप को महान समझते हैं और  गर्व महसूस करती हैं कि "हम विदेश में रहते" हैं।

Kaise bache corona virus se


                  ऐसे लोगों की वजह से हमेशा आम आदमी अपने आप को तकलीफ और परेशानियों में घिरा पता है। ऐसे लोगों की वजह से दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर जो रोज काम की तलाश में मिलो चलते हैं मजदूरी करते हैं, तब कहीं जाकर वो 1 दिन का खाना जुटा पाते हैं। ऐसे लोगों ने उनका रोजगार छीन लिया, लोगों के काम-धंधे बंद करवा दिए, दुकानें बंद करवा दी, बिजनेस और अर्थव्यवस्था ठप्पा करवा दिया। ऐसे लोगों की वजह से देश संकट के दौर से गुजर रहा है। और ऐसे में जब सरकार को मजबूरी में लोकडाउन करना पड़ा तो लोग घरों में रहना नहीं चाहते हैं। घर में बोरियत महसूस कर रहे है। यह वही लोग हैं जो अपने घरों की महिलाओं और लड़कियों को अक्सर यह बोला करते हैं "जो चाहिए हमें बता दिया करो" हम ले आएंगे तुम्हारे घर से बाहर जाने की निकलने की आवश्यकता नहीं है। जरा सोच कर देखिए ऐसी औरतें और लड़कियां जिन्हें घर की चारदीवारी में कैद करके रखा जाता हो, जिन्हें उम्र भर किसी कैदी की तरह रहना पड़ता है। उन्होंने कैसा लगता होगा ?

अघोषित lock down जो अपने इंसान ने बरसो से किया है 


                      उन बेजुबान जानवर के बारे में सोचें जो ताहउम्र भर पिंजरे में कैद करके रखा जाता है। जो आकाश में उड़ने के लिए बने हैं शायद अब आपको अंदाजा हो गया होगा कि ऐसे लोगों और जानवरों को कैसा लगता होगा । जो कैदियों की तरह अपनी जिंदगी गुजारते हैं। आज जब कुछ दिनों के लिए लोगों को घरों में रहना है तो लोग बोरियत महसूस कर रहे है, खुद को कैदी समझ रहे है और जब आज इंसान कैद है तो कोई बलात्कार के मामले नहीं आ रहे है, कोई हत्या नहीं हो रही है,कोई धरना-प्रदर्शन नहीं हो रहा है, हवा-पानी प्रदूषण मुक्त हो रहे हैं, और जानवर निर्भय हो कर घूम रहे हैं। तो उन्हें भी कुछ दिन निर्भय होकर जी लेने दिया जाए। तो लोगों को समझना चाहिए कि कुछ दिन लोकडाउन रहने दे।  इंसानों द्वारा की गई गलतियों का पश्चाताप कर ले।

समय आ गया है इंसान खुद lock down हो जाये 

कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अगर इस धरती का कोई सबसे बड़ा शत्रु है तो वो स्वयं इंसान है । इस चकाचौंध की जिंदगी में इंसान ने इस धरती का बड़ी बेरहमी से कत्ल किया है । क्षमता से अधिक दोहन ने हमारे इको-सिस्टम को पंगु बना दिया है । इस धरती को स्वच्छ और प्रदूषण  मुक्ति के लिए न जाने कितने अग्रीमेंट ,कितनी संधिया और हस्ताक्षर हुवे परंतु जो बात इंसान 30 साल में नही समझा उसे उसकी मौत के भय कोरोना वायरस ने मात्रा 3 महीने में समझा दिया । बात सीधी है अगर इंसान ने अपनी बाहें खुद lock down नही की तो प्रकृति को lock down करना पड़ेगा और अगर ऐसा हुआ तो समस्त मानव जाति को काल के मुह में जाने से कोई रोक नही सकता ।



lock down
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क्या आपकी जिंदगी में भी कुछ lock down या कैद से जुड़े किस्से तो हमे लिखे ।


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(पूर्वी)


                  

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