आज के नौजवान और अनैतिक कार्य (PART-1) - tHink sOcial Agenda

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الأحد، 12 يناير 2020

आज के नौजवान और अनैतिक कार्य (PART-1)

आप जब भी किसी व्यक्ति से पहली बार मिलते हैं। तब सबसे पहले क्या चीज देखते हैं। जाहिर सी बात है कपड़े क्योंकि जब भी हम पहली बार किसी से मिलते हैं तो सबसे पहले उसके कपड़े नजर में आते है। चाहे आप माने या ना माने हकीकत यही है कि सबसे पहले उनके कपड़े नजर में आते हैं जो कि साफ-सुथरे और सलीके के होने चाहिए। दूसरे नंबर पर आता है आदमी का व्यक्तित्व आपके बोलने का तरीका, आपके सोचने का तरीका, आपके उठने-बैठने का सलीका क्या है ? यह सारी बातें बहुत ही महत्व रखती है। यह सब चीजें सामान्य है जो देखी जाती है और जरूरी भी है।
                            लेकिन आपको एक बहुत ही अनोखी और खास बात बताते हैं जो आपने सुनी भी होगी कहीं ना कहीं से। किसी भी व्यक्ति को कभी भी उसके कपड़ों और मीठी बातों से नहीं आंकना चाहिए। इंसान की बहुत बड़ी भूल होती है जो वह अक्सर कर बैठता है। क्योंकि अक्सर जहरीली और खतरनाक चीजें सुंदर ही दिखाई देती है और ऐसी सुंदरता किस काम की जिससे इंसान की जिंदगी तबाह हो जाए।
                         इन सब बातों का एक बहुत ही गहरा मतलब है अगर आप पहचान पाए तो चलिए इसकी शुरुआत एक एक सच्ची घटना पर आधारित एक कहानी से करते हैं। एक घर था जहां पर एक आदमी औरत और उनके तीन बच्चे थे, जिनमें से दो बेटियां और एक बेटा था। शुरुआत में उनका बेटा उनके साथ नहीं रहता था लेकिन कुछ साल के बाद वह अपने मां-बाप पास आ जाता है। बहुत ही रूढ़ीवादी लोग थे और उनके घर का माहौल हमेशा खराब रहता था। हमेशा लड़ाई-झगड़े और दकियानूसी बातें ही होती थी। इसमें से उनकी बड़ी बेटी के साथ एक घटना हो जाती है जब वह बहुत कम उम्र की होती है लगभग 6 या 7 साल की उस समय कुछ घटनाएं होनी शुरू होती है। उस समय कुछ ऐसा होता है जो उसके दिलो-दिमाग पर बहुत ही बुरा असर डालता है।
              जब वह अपनी दादी के घर होती है उस समय उसके रिश्तेदार चाचा द्वारा इसके साथ जबरदस्ती की जाती है। फिर ऐसी ही एक घटना तब होती है जब वह अपने नानी के घर जाती है। जहां वह कुछ बच्चों के साथ लुक्का-चुप्पी का खेल बगीचे में खेल रही थी। फिर एक बार उसकी बारी आती है कि अब वह लोगों को ढूंढेगी की कौन कहां पर छिपा है तभी वो बगीची के पास वाले घर में घुसती है जहां वह देखती है कि उसकी तरह ही बहुत कुछ बच्चियां लाइन में बैठी थी और वो उनसे पूछती है कि तुम यहां पर क्यों बैठे हो। तभी एक आदमी कमरे से बाहर निकल कर आता है और बारी-बारी से सारी लड़कियों को बुलाता हैं और जो भी बच्चियां कमरे से बाहर आ रही थी वो सभी रोती हुई आ रही थी वो बहुत ही भयानक मंजर था उसके लिए।

                एक समय वो भी आता है जब उसका भी सामना इन सब चीजों से होता है। उसने जब अपने साथ कुछ ग़लत होने पर जब विरोध किया है तो उसको बहुत मारा-पीटा गया और उसे सीढ़ीयो से धक्का दे दिया गया। जिससे उसको बहुत चोटे आई। जब वह घर आती है तब उसकी मां उससे पुछती है कि उसको चोटें कैसे लगी। वो पहले से ही बहुत डरी होती है। उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है और उसको डराया-धमकाया गया था कि उसने जो कुछ भी देखा था। वो बात वो किसी को ना बताए। उसके घर का माहौल जैसा की वो जानती थी अच्छा नहीं था। रूढ़ीवादी परम्पराओं का पालन करने वाला परिवार था। वह रात को सो नहीं पाती थी। दिन-रात उसको वह घटना याद आती थी। उसके हाथ पाव- कांपते रहते थे। सिर पर पसीने आ जाते थे। दिल की धड़कनें बढ़ जाती थी। बहुत बुरी हालात थी और उसकी ऐसी हालत 10-12 साल तक बनी रही। वह यह बात जानती थी कि अगर वो वह सब बाते किसी को बताती भी है तो कोई यकीन नहीं करेगा। अगर लोग जान भी जाते हैं तो उसको हौसला और हिम्मत देने के बजाय सारा इल्जाम उसी पर लगा दिया जाएगा और घर की इज्जत और शानो-शौकत को बचाने के लिए उसका मुंह बंद करवा दिया जाएगा।
                      हमारे समाज में एक बुराई सदियों से चली आ रही है। कोई भी गलत चीज के खिलाफ नहीं खड़ा होता लेकिन हां जहां जमीन-जायदाद की बात होती है वहां लोग एक दूसरे की जान तक ले लेते हैं लेकिन सही चीज के लिए कोई आगे नहीं आता हर किसी को अपनी दकियानूसी शान-शौकत और मान-सम्मान दिखाई देती। लेकिन हकीकत की बात यह है कि आज के समय में शायद ही इक्का-दुक्का इज्जतदार लोग बचे हैं। जो सही मायने में इज्जतदार लोग हैं। अपने हजारो गुनाहों पर पर्दा डालकर आज हर कोई इज्जतदार बना घूम रहा है।

                       उस लड़की के मन में तब से आदमियों और लड़कों की प्रति बेतहाशा घृणा और एक अजीब तरह का भय पैदा हो गया था और आते-जाते किसी भी आदमी या लड़के को देखकर डर जाती थी। उसे अपने ही भाई और बाप से भी डर लगता था। वह एक अजीब तरह की मानसिक पीड़ा से गुजर रही थी जो कि कोई भी नहीं जानता था।
                     फिर उसने अपने ही भाई को किसी लड़की के साथ कुछ गलत करते देखा था। ऐसा नहीं था की वो सब उसने बचपन में ही देखा। उसके भाई की ये गंदी हरकतें जो उसके बचपन से लेकर कोलेज जाने के समय तक जारी थी। ये सब देख के उसके होश उड़ गए थे, उसने सब-कुछ अपने आंखों से देखा था। वह अपने गंदे कारनामों को अंजाम दे रहा था और वह उस दौरान आया भी पानी पीया और वापस अपने कारनामों को अंजाम देने लगा। और ये सब तब हो रहा था जब रात का समय था सब आस-पास में ही छत पर सोए हुए थे।

                  जब उसने यह सब देखा तो उसने अपनी मां को बताया लेकिन उसकी मां ने अपने बेटे को कुछ नहीं कहा और रही कसर बाकी जो उसकी मामी ने पूरी कर दी थी। उसने उसके भाई का पूरा सहयोग किया। क्योंकि वो खुद एक ऐसी औरत थी जिसका आचरण अच्छा नहीं था और उसका खुद का कोई बेटा भी नहीं था। जिसकी वजह से वो उसके भाई को लॉड-दुलार करती थी। उसके गलत चीजों में सहयोग करती थी। अकसर उसका भाई उसकी मामी को फोन किया करता था और वो बात करने के लिए छत पर चढ़ जाया करता था ताकि कोई उसकी बात ना सुन सके या उसकी मामी जब कभी उसको फ़ोन किया करती थी। तो उस लड़की के बारे में अक्सर बताया करती थी और वो भी इसी वजह से अपने मामा के घर जाया करता था। क्योंकि वहां उसकी महबूबा रहती थी। उसने अपनी महबूबा की फोटो निकलवा के रखा हुआ था। जब फोन नहीं था तब चिट्टियां लेकर भेजा करता था। 

            जब उस लड़की(महबूबा) की शादी हो गई उसका उसकी मम्मी के घर जाना-आना कम हो गया।हैरानी की बात यह थी कि उसकी मां सब कुछ जानते हुए भी उसने अपने बेटे को कुछ नहीं कहा। बल्कि अपनी ही लड़की को डांटने लगी कि तुम मेरे बेटे को बदनाम मत करो वह लड़का है जो चाहे वह कर सकता है उसके कुछ करने से घर-परिवार के इज्जत पर कोई आंच नहीं आएगी। यह सब सुनकर वह बहुत ही हैरान थी।
                      उसके मन में एक ही सवाल चल रहा था कि जब समाज और हमारे घर-परिवार के लोगों की सोच ऐसी ही है तो फिर वह किस इज्जत की बात करते हैं?।  जिसे वह खुद खराब करते हैं और फिर बाद में इज्जत की दुहाइयां देते फिरते है।
                          उसके भाई का बचपन से ही अश्लील चीजो में बहुत ध्यान रहता था। वह सब कुछ देखती थी। महसूस करती थी‌। लेकिन किसी से कुछ कहती नहीं थी क्योंकि उसकी बात सुनने वाला उसके घर में या फिर कहीं पर भी कोई शख्स नहीं था। और फिर पहले ही उसके साथ बहुत सारी घटनाएं हो चुकी थी जिसकी वजह से वह बहुत ही डरी हुई और सहमी रहती थी। कुल मिलाकर बात इतनी सी थी बस व एक जिंदा लाश की तरह बन कर रह गई थी लेकिन उसने कभी किसी को यह महसूस नहीं होने दिया कि वो तकलीफ में है। सब के साथ सामान्य व्यवहार करती थी लेकिन कभी किसी से कुछ नहीं कहा। उसे अंजान लोगों से बात-चित करने में बहुत दिक्कत होती थी। जिस माहौल से उसे दूर रहना चाहिए था। हर-पल ऐसे लोग उसके आस-पास रहते थे। जो उसे उस घटना की याद दिलाया करते थे और उसके दिलो-दिमाग पर उसका बहुत ही बुरा असर पड़ा। वह पढ़ने की बहुत ही कोशिश करती थी लेकिन पढ़ नहीं पाती थी। उसे कुछ भी समझ नहीं आता था जो अक्षर वह पढ़ती थी। बस पढ़ती चली जा रही थी लेकिन उसमें सोचने-समझने की बिल्कुल भी काबिलियत नहीं बची थी। बस वह दिन-रात रोती थी और सिर्फ सोती रहती थी और जब होश आता था तो फिर से वह सब चीजें उसे याद आती थी और सिर्फ आंखों में आसूं होते थे। जहां बाकी दूसरे बच्चो का सपना होता की वो बड़े हो कर डाक्टर, इंजिनियर आदि बनेंगे लेकिन वहा वो खुद से लड़ रही थी। वह किसी को समझा नहीं सकी थी कि वह किस मानसिक पीड़ा से गुजर रही है। ऊपर से हर कोई यही कहता था कि वह नालायक है कुछ कर नहीं सकती और ना जिंदगी में कुछ कर पाएगी लेकिन उसकी अपनी जिंदगी किस तरह से कट रही थी यह बात तो सिर्फ वही जानती थी।

                           फिर जब उसने कॉलेज में एडमिशन लिया। तब उसे कुछ ऐसे दोस्त मिले जो उसे अपने साथ रखते थे और हंसते-बोलते थे। जिससे वो उस डिप्रेशन से काफी हद तक उभर चुकी थी। फिर कुछ समय बाद उसकी शादी की बाद चलने लगी। उसके घर वाले उसके लिए लड़का देखने लगे। इसी बीच एक लड़के ने उसके आगे शादी की प्रस्तावना रखी जो उसका दोस्त था। यह मैसेज उसके भाई ने पढ़ लिया जो खुद एक अय्याश किस्म का लड़का था। उसने यह सब अपने पिता जी को दिखा दिया कि देखिए आपकी बेटी किसी गलत राह पर चल पड़ी है। जिसके वजह से उसके पिता जी ने उसे बहुत कुछ कहा और डांटा।

                   वह यह सब देख कर वो बड़ी ही हैरान थी और मन ही मन सोच रही थी कितनी हैरानी की बात है कि उसकी शादी की बात चल रही है और वह अपने लिए किसी लड़के को पसंद नहीं कर सकती। जबकि शादी उसे करनी है और उससे भी हैरानी की बात यह थी की सही-गलत की बात वह इंसान कर रहा था जो न जाने खुद कितनी लड़कियों के साथ सोया है।

                    इसमें उस लड़के की कोई गलती नहीं थी।बचपन से उसने सीखा ही यही था कि वह एक लड़का है जो चाहे कर सकता है उसके कुछ भी करने से घर की इज्जत पर कोई आंच नहीं आएगी लेकिन हां अगर लड़की अपनी मर्जी से सास भी ले ले तो वह भी गुनाह माना जाता है। उसकी गलत हरकतों पर उसके मां-बाप ने कभी कुछ नहीं कहा जिससे उसका मनोबल बढ़ता चला गया। उसके मन में कभी-भी खुद के द्वारा किए गए गलत काम, कभी गलत नहीं लगे। और तो और उसे हिम्मत दी गई और उसके गलत कामों को बढ़ावा दिया गया जिससे उसकी मन में एक आत्मविश्वास पैदा हो गया कि वह गलत करके भी की कभी भी गलत नहीं हो सकता। वह सही ही रहेगा क्योंकि उसे कभी बताया ही नहीं गया था कि गलत क्या है? और सही क्या है?।

                         जब वह स्कूल में था। तब बचपन से लेकर उसके बड़े होने तक उसका अश्लील चीजों में बहुत ध्यान रहता था। उसका दोस्तों का समूह बहुत ही घटिया था। जो सिर्फ अश्लील बातें किया करते थे। गंदी वीडियो देखा करते थे। हमेशा उनकी बातें लड़कियों और औरतों के ऊपर ही हुआ करती थी।

                           वह पहले अपनी मन की हसरतें पूरी किया करता था और जब उसका मन शांत हो जाता था तब वह पढ़ाई या बाकी और कोई काम करता था और वह फिर आगे भी बड़ा क्योंकि जो भी ख्वाहिश थी अच्छी या बुरी सब पुरी करता गया। कोई रोकने वाला नहीं था और मन में किसी तरह का कोई मलाल भी नहीं था। क्योंकि उसके मां-बाप को उसके किसी भी घटिया काम से कोई तकलीफ नहीं थी। क्योंकि वह एक लड़का था उसे पूरी छूट मिली हुई थी।

                         फिर उस लड़के ने गेट का पेपर दिया और आईआईटी जैसी बड़ी संस्था में दाखिला लिया और सबसे वाहवाही लूटी सबकी नजरों में छा गया। जब उसने आईआईटी में एडमिशन लिया तब उसको अच्छे लोगों का समूह मिल गया था जो अच्छे सोच-विचार वाले लोग थे। जिससे उसके व्यवहार में बहुत बदलाव आये। उसकी बातें बहुत बड़ी-बड़ी हुआ करती थी। एक दिन जिसके पिता अपनी बेटियों की शादी की बात कर रहे थे तभी उसने कहा कि क्या लड़कियों की यही जिंदगी इतनी सी होती है पैदा होने से लेकर शादी तक अपने घर में चूल्हा-चौकी करना और फिर कॉलेज की पढ़ाई खत्म होते ही शादी करके फिर किसी दूसरे के घर चले जाना। उसकी बातें सुनकर उसकी बहने बड़ी हैरान थी कि वह शख्स इतनी अच्छी सोच कैसे रखने लगा, इतनी अच्छी बातें कैसे करने लगा उन्हें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि उनका भाई सुधर गया है। जब तक वो वहां पढ़ा अच्छे लोगों के बीच था जैसे ही वो उस माहौल से बाहर आया वापस वही घटिया इंसान बन गया।
                                   पहले उसकी नौकरी किसी और जगह पर लगी थी जहां उसका मन नहीं लगा तो उसने अपना ट्रांसफर करवा लिया जहां उसके मां-बाप रहते थे। फिर कुछ समय बाद उसकी वही हरकतें घटिया काम शुरू हो गए क्योंकि वापस उसी माहौल में उसी दोस्तों के बीच आ चुका था। उसकी नौकरी जिस तरह की थी वो घर से काम कर सकता था। अगर चाहे तो ऑफिस से काम कर सकता था लगभग दो से ढाई साल उसने उस कंपनी में काम किया और फिर उसके घर में उसकी शादी के बाद चलने लगा उसके पिताजी ने एक शादी के वेबसाइट पर उसके प्रोफाइल बनाई जहां पर उसके लायक लड़की मिल सके। लेकिन वो एक अय्याश किस्म का लड़का था। उसने अपने घर वालों को यह कहकर लड़की ढूंढने में उलझाया रखा की शादी के लिए तैयार है और आप लोग लड़की ढूंढ सकते हैं लेकिन खुद बाहर जाकर अय्याशी करता था। ऐसा करने के पीछे उसका एक मकसद था कि अगर उसने शादी का विषय को लेकर कुछ भी बहस की तो ऐसे में वो बाहर बिना रुकावट के आ-जा नहीं पाएगा और लोगों के बीच अच्छा नहीं बन पाएगा। उसकी एक सोचती कि वह अपने घर वालों को अपनी लड़की ढूंढने के लिए व्यस्त रखेगा और बाहर जो चाहे वह कर भी सकता है इससे उस पर किसी को शक भी नहीं होगा।

                 हालांकि उसके बहनों को बहुत अच्छी तरह पता था कि वह अपने मां-बाप की पसंद की लड़की से कभी शादी नहीं करेगा। वह तो बस उन्हें ही व्यस्त रखना चाहता था। ताकि वह बाहर जाकर अपनी अय्याशी जारी रख पाए। बिना किसी रूकावट के और समय आने पर जो भी लड़की उसमें से उसको ठीक लगेगी उससे शादी कर लेगा या लोगों को बता सकता है। क्योंकि उसकी बात कोई अनसुनी नहीं कर सकता है। वो ये बात जानता है। जैसा कि उसके घर में लड़कों को सिर का ताज माना जाता है। अकसर अपने दोस्तों को वो कहां करता था कि उसे रोकने वाला कोई नहीं है जो चाहे कर सकता है अपने मां-बाप का इकलौता लड़का है लोग डरते हैं कि एकलौता लड़का है कहीं कुछ हो गया तो  इसलिए जो चाहे करें। कोई कुछ नहीं कहेगा।
                              जहां उसके मां-बाप रहते थे वहां उसे नौकरी करते हैं दो-ढाई साल हो गए थे और अब वह कहीं और अकेले रहना चाहता था। जिससे कोई देखने वाला पूछने वाला कोई ना हो क्यों कहां जा रहा है किससे मिल रहा है इसलिए उसने डिसाइड किया कि वह किसी दूसरे जगह पर नौकरी करेगा तो उसने अपने घर वालों को बोल दिया कि उसकी किसी दूसरी जगह पर इंटरव्यू देने जा रहा है। हकीक़त यह सब कुछ उसकी एक सोची-समझी रणनीति थी। जिससे उस पर किसी तरह का कोई शक ना जाए। वास्तव में उसका उद्देश्य था कि वह घर से दूर रहे जिससे वह किसी लड़की से मिलजुल सके,उसके साथ बाहर घूमने जा सके, रासलीला रचा सके। अक्सर ऐसा आज के समय में होता है जितने भी नौजवान घर से दूर पढ़ने के बहाने,नौकरी के बहाने बाहर होते हैं उनमें से ज्यादातर यही काम करते हैं अगर लड़का बाहर फ्लैट लेकर रहना है तो वहां वह लड़कियों को बुलाते हैं जहां पर काले कारनामे चलते हैं। अगर लड़की बाहर अकेली रहती है तो ज्यादातर लड़कियां वैसे लड़कियां होती है जिनके घर वाले जिन्हें बांध के रखा करते हैं। और एकदम से आजादी मिलने पर उनका गलत फायदा उठाती है। किसी भी लड़के से कहीं भी मिलने के लिए उनके फ्लैट या कही भी चली जाती हैं और ज्यादातर लोग फ्लाट इसीलिए लेते हैं ताकि वहां पर कोई आसानी से उनसे मिल ना सके। ताकि उनके मां-बाप या उनके घर का कोई भी सदस्य कभी भी आसानी से ना  पहुंच सकते हैं जैसा की उस जगह सिक्योरिटी गार्ड होते है बिना उसके परमिशन के कोई नहीं आ सकता। इसलिए ज्यादातर लोग फ्लैट लेकर रहते हैं पर उनकी यही कारनामे बाद में उनके लिए घातक हो जाते हैं।
           
                                                    

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