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الخميس، 2 يناير 2020

वहम में जीती दुनिया।

आज का समय जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। हर कोई मानता है, कि वह बहुत ही व्यस्त है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है ? या लोग व्यस्त रहने का दिखावा कर रहे हैं ? जिस किसी को भी देखो वो यही कहता है कि उनके पास खुद के लिए और अपने परिवार के साथ समय गुजारने का वक्त नहीं मिलता। ऐसा भी क्या हासिल करना है ? जो लोगों के पास अपने लिए और अपने परिवार के साथ समय गुजारने का वक्त नहीं मिलता। लेकिन हकीकत तो यह है, कि लोगों के पास बहुत समय है। ऐसे लोग जो सोशल साइट्स पर सुबह से लेकर शाम तक व्यस्त रहते हैं, दिनभर इधर-उधर बिना किसी मतलब के घूमते रहते हैं, बेफिजूल की चीजों में लिप्त रहते हैं। हमारे आज के समय के बच्चे और नौजवान इन सब चीजों में लगे रहते हैं।
                 काफी देर रात तक सोना, पूरे दिन सोशल साइट्स पर एक्टिव रहना, उनके पास खाने का समय नहीं है लेकिन डिस्को,क्लब ,पार्टी में जाने का समय होता है।उनके पास घर में अपनों के साथ समय बिताने का समय नहीं है, लेकिन पूरे दिन दोस्तों के साथ बेवजह सड़कों पर घूमने का समय है। अच्छा खाना खाने की वजाय गुटका, शराब और नशा कर रहे हैं और जरूरी चीजों के लिए उनके पास समय नहीं है। और फिर कहते है हमारे पास समय नहीं है। क्या आपको नहीं लगता यह महज एक वहम नहीं तो क्या है ?
                    आपको क्या लग रहा है क्या वाकई दुनिया तरक्की की राह पर चल रही है ? या किसी सही नीयत के साथ काम कर रही हैं ? या फिर किसी भीड़ में खो गई है ? क्या लोग सच में जानते हैं की उन्हें जाना कहां है ? और पाना क्या है ? सच कहे तो बिल्कुल भी नहीं। अगर कभी संभव हो तो एक मकान की छत पर जाकर खड़े होकर अगर आप उस भिड़-भाड़ वाली जगह को देखेंगे जहां लोगों की लंबी कतार जाती है , लेकिन उनमें से 99% लोगों को नहीं पता की वो क्यों भाग रहे हैं ? और किस चीज के लिए ?
                      यह बिल्कुल वैसा मंज़र है। जहां लोग दौड़ में शामिल होने के लिए सिर्फ इसलिए आते हैं, कि कोई इनाम मिलेगा या कुछ पैसे मिलेंगे लेकिन उस इनाम या पैसे का वो क्या करेगी उन्हें नहीं मालूम। बस उन्हें इस दौड़ में शामिल होना है आज की जो स्थिति है उसको देख कर सिर्फ एक ल‌ईन याद आती है। मुसाफिर हूं यारों ना घर है ना ठिकाना बस यूं ही चलते जाना है।
                  जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हर इंसान का एक लक्ष्य होना चाहिए। बिना लक्ष्य के इंसान एक अंधेरे कमरे में हाथ पांव मारने के बराबर होता है । जिसे ये नहीं पता होता की जाना कहां है, और करना क्या है, हर इन्सान को यह तय कर लेना चाहिए की है उसे जिंदगी में क्या हासिल करना है, या उसका लक्ष्य क्या है, अपनी जिंदगी किसी वहम में नहीं काटता चाहिए।

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