लेकिन ऐसी विचारधारा और सोच पुराने समय की है या फिर यूं कहें की पुरानी बाते है।क्योंकि जितनी जिम्मेदारीयो का बोझ मां-बाप के पास होती है वैसे ही उम्र के हिसाब से हर किसी के पास अलग-अलग तरह की समस्याएं, तनाव और परेशानियां होती है। ऐसा बोल देना कि बच्चों के पास किसी तरह की कोई जिम्मेदारियां और परेशानी नहीं होती सरासर गलत है। उम्र के पड़ाव के साथ हर किसी को अलग-अलग तरह की परेशानियां और दबाव से होकर गुजरना पड़ता है।
पहले के समय में बच्चा स्कूल जाता था। खाता-पीता था। थोड़ा बहुत पढ़ता-लिखता था और खेलने चला जाता था। लेकिन अब पहले जैसा दौर अब नहीं रहा। अब जब बच्चा छोटा होता है लगभग डेढ़-तीन साल का होता है तो उसे स्कूल भेज दिया जाता है और उस नन्ही सी जान पर किताबों का बोझ थोप दिया जाता है। अब बच्चा स्कूल जाता है स्कूल से आने के बाद वह खाता-पीता है थोड़ा बहुत पढ़ता है उसके बाद उसके ट्यूशन का समय हो जाता है ट्यूशन से आने के बाद फिर वहां का और स्कूल का होमवर्क करता है फिर थोड़ा बहुत समय घर पर गुजारता है फिर सो जाता है फिर अगले दिन उठ कर स्कूल चला जाता है। यही दिनचर्या उसकी स्कूल के समय तक चलती रहती है।
बड़े होने पर कॉलेज के चक्कर, उम्र और जमाने के हिसाब से कई तरह की परेशानियां, दबाव और समस्याएं होती है। ऐसे में हमारे देश में सरकारी नौकरी का प्रचलन ज्यादा है। ज्यादातर मां-बाप की यह चाहत होती है कि उसका बच्चा बड़ा होकर इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस इनमें से कोई एक चीज बने। लेकिन हमारे देश में सरकारी नौकरी की चाहत लोगों में इस कदर है की वो विद्यार्थियों के जिन्दगी से भी किमती होती है।
हमारे जैसे देश में जहां मां-बाप बच्चों पर दबाव डालते है कि वो सरकारी नौकरी की तैयारी करें क्योंकि सरकारी नौकरी में बहुत ही आराम है, इससे समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ती है, रहने के लिए घर मिलता है सरकारी दफ्तर में समय की कोई सीमा नहीं होती है जब मन करे तब जाते हैं जब मन करे तब आते हैं ऐसी विचारधारा लोगों में बनी हुई है सरकारी नौकरी आराम की नौकरी होती है इससे पूरी जिंदगी संवर जाती है किसी तरह का कोई टेंशन और दबाव नहीं होता इसी विचारधारा की वजह से आज सरकारी नौकरियो की सीटें बाजारों में बिक रही है। सरकारी नौकरी की परीक्षा में घपला-बाजी हो रही है, पेपर लिक हो रही हैं, लोगों में मारामारी है, कंपटीशन बढ़ रहा है और विद्यार्थियों पर घर-परिवार और रिश्तेदारों का दबाव होता है कि उन्हें पेपर क्लियर करना है किसी भी हाल में जिससे बच्चे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं क्योंकि सीटें बहुत कम है और वह भी मार्केट में बिक रही है।
इतने कंपटीशन के दौर में जहां सीटें बहुत कम है लाखों की तादाद में बच्चे तैयारी करते हैं वहां एक साथ सब का सिलेक्शन होना बिल्कुल ही असंभव है और हर मां-बाप को अपने बच्चे के लिए सरकारी नौकरी ही चाहिए जैसे कि उनकी सोच बनी हुई है सरकारी नौकरी बहुत आराम की नौकरी होती है हर कोई इतना स्वाभिमानी हो चुका है कि उसे अपने फायदे के अलावा कोई दूसरा दिखइ ही नहीं देता है जिन सरकारी नौकरियों की बात लोग करते हैं जो लोग आराम ढूंढते हैं ऐसे लोग सिलेक्शन होने के बाद सिर्फ आराम ही फरमाते हैं।
जब कभी आप किसी सरकारी दफ्तर में जाएंगे तब आप देखेंगे कि वहां का जो अधिकारी होता है वो समय पर ना आता है ना समय पर जाता है ज्यादातर छुट्टियों पर ही रहता है और दफ्तरों में फाइलों की एक लंबी-चौड़ी कतार लगी रहती है जिसे खोल कर कभी देखा ही नहीं जाता है। लोग दफ्तरों के बाहर एक लंबी लाइन लगाकर खड़े रहते हैं कि कब वहां का अधिकारी आएगा और कब उनका काम होगा। यही हालत है हमारी सरकारी दफ्तरों की हर कोई आराम चाहता है और अपने आराम के बदले लोगों को तकलीफ देते है, इतनी सारी असुविधा होती है उसके बारे में कोई नहीं सोचता। यह हमारे देश का ऐसा हाल है। ऐसे आराम पसंद लोगों की वजह से हमारी सरकारी व्यवस्था भी खराब होती है जो सिर्फ अपना आराम देखते हैं और छुट्टियों पर रहते हैं जिससे सरकारी दफ्तरों के सारे कार्य रुके होते हैं इसके बारे में कोई नहीं सोचता हर कोई सरकारी नौकरी की तरफ ही भाग रहा है और खासतौर से मां-बाप की ये ख्वाहिश होती है कि बच्चे को सरकारी नौकरी मिले और जिससे वह बच्चों पर दबाव डालते हैं कि वह सरकारी नौकरी की तैयारी करें इस तरह से बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है और घर परिवार रिश्तेदारों के दबाव में रहकर तैयारी करता है और कई बार दबाव इतना ज्यादा होता है कि बच्चे आत्महत्या कर लेता है। क्या आपको नहीं लगता कि यह सोच बदलने की जरूरत है ? क्या आपको नहीं लगता कि हमारे सरकारी व्यवस्था के ढांचे को सुधारना चाहिए ऐसे लोगों को सरकारी नौकरी में नहीं जाना चाहिए जिनकी मन से इच्छा नहीं होती है कि वो समाज के लिए कुछ करें। बस लोगों के दबाव में उस क्षेत्र में चले जाते हैं जहां वह कुछ कर नहीं सकते।
इंसान को वह काम करना चाहिए जिसमे उनकी रुचि हो। किसी के दबाव में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए। वो काम करना चाहिए जो उन्हें अच्छा लगता हैं जिससे हम खुश रह सके अगर खुश रह कर काम करते हैं तो काम तो अच्छा होता ही है मन में संतुष्टी बनी रहती है।
Very bad condition of job
ReplyDeletesar pass trek
This should be change.
ReplyDeletenutrition
This is condemnable.
ReplyDeleteseo services in delhi
Great article
ReplyDeleteAmazing post about जिंदगी का सौदा सरकारी नौकरी से in this blog hope more people reaching your blog because you are sharing good information. I noticed some useful tips from this post. Thanks for sharing this
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