Prakritik Aaahar- जन से जीवन तक - tHink sOcial Agenda

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Wednesday, April 8, 2020

Prakritik Aaahar- जन से जीवन तक

Prakritik Aaahar- जन से जीवन तक

 
Prakritik-Aahar
Prakritik-Aahar

भारत का सात्विक आहार पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। भारत के खान-पान में Prakritik Aaahr का सिद्धांत देखने को मिलता है। आप इसका अंदाजा आज के समय में आई हुई विपदा से  लगा सकते हैं। जो कोरोना वायरस के नाम से पुरी दुनिया भर में कहर बरपा रहा है। जो लोग मांस, मछली, अंडा, मदिरा-पान इत्यादि का सेवन करते हैं। ऐसे लोगों को भविष्य में गंभीर बीमारियां होने की पुरी संभावना होती है। लेकिन यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि हमारे समाज में लोगों की यह सोच बनी हुई है कि कॉफी, मांस, मछली, अंडा, मदिरा, नशीले पदार्थों को लोग प्राथमिकता देते हैं। लोगों में ऐसी धारणा बन चुकी है कि इन सब चीजों का सेवन करने से मनुष्य स्वस्थ रहता है। जो की सरा-सर गलत है। पृथ्वी  पर जब जीवन का उदय हुवा ,प्रकृति ने  मनुष्य को बहुत से Prakritik Aahar दिए, परन्तु इंसान ने वक़्त के साथ सब कुछ बदल दिया , खान-पान से लेकर , जीवन शैली तक ।

Prakritik Aaahar- आखिर इतना जरूरी क्यों ?

              इस पूरे ब्रह्मांड में जितनी भी खतरनाक बीमारियां, महामारियां, वायरस इत्यादि फैलते हैं। वह ज्यादातर जानवरों से ही फैले हैं। लेकिन जब कभी करोन वायरस जैसी आपदा आती है तो मनुष्य थोड़े समय के लिए जानवरों का मांस, मछली इत्यादि खाना बंद कर देता है और जैसे ही खतरनाक वायरस और बीमारी मनुष्य के जीवन से जाती है। मनुष्य फिर से उन सभी चीजों को अपना लेता है। यह तो ठीक उसी भांति है जैसे किसी क्लास में विद्यार्थी तब तक शांत बैठता है जब क्लास में टीचर डंडा लेके बैठा रहता है जिसके जाने के बाद बच्चे उपद्रव मचाने लगते हैं। लेकिन अपने व्यवहार में सुधार नहीं करते हैं बिल्कुल उसी भांति आज का मनुष्य है।

Prakritik-Aahar
Prakritik-Aahar

               

                 ईश्वर ने मनुष्य के खाने के लिए बहुत सारे फल- फूल, सब्जियां, वनस्पतियां इत्यादि बनाऐ। और उन्हें प्रकृति में समाहित किया ताकि जीवन Prakritik Aaharo की संज्ञा पर चले , लेकिन इंसान को यह सब खाना पसंद नहीं है। वह तो जानवर को खा कर संतुष्ट हैं। कई लोगों का मानना है यदि वह जानवरों को नहीं खाएंगे तो उनकी जनसंख्या बढ़ जाएगी। यह सोचने वाली बात है जिसने संसार बनाया उसने जीवन का चक्रर भी बनाया है। ऐसे जीव जो मांस खाते हैं, जो शिकार करके जानवर खाते हैं, ऐसे जीव के लिए दूसरे जीव बनाये गये है जो घास और वनस्पति आदि नहीं खाते हैं। लेकिन कोई भी जीव मनुष्य के खाने के लिए नहीं बनाया गए। जबकि शुद्ध शाकाहारी भोजन में वह सभी तत्व और पोषण मौजूद होते हैं जो की इंसान के विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं । जिसमें साग-सब्जियां दाल, गेहूं, जो आदि शामिल होते हैं ये वो Prakritik Aaahr जो स्वास्थ्य के लिए मांसाहारी भोजन से कई गुना बेहतर होते हैं जिससे भोजन को पचाने में शरीर को आसानी होती है।

                 उदाहरण के तौर पर आज पूरे विश्व में करोना वायरस फैला हुआ है। कुछ लोगों का मानना है कि यह चीन द्वारा तैयार किया गया जैविक हथियार है, कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि यह चमगादड़ों से फैलने वाली बीमारी है, वजह चाहे जो भी हो। लेकिन हमने अक्सर यह देखा है कि जानवरों की वजह से कई तरह की गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती हैं। उदाहरण के तौर पर इबोला वायरस, स्वाइन फ्लू,करोना वायरस जो अक्सर हमें समय-समय पर देखने और सुनने को मिलता  है। ऐसे ही जानवरों से फैलने वाली ना जाने कितने खतरनाक वायरस और गंभीर बीमारियाँ है जो इंसानों के सामने अभी तक नहीं आई है। लेकिन भविष्य में किसी घटना द्वारा मनुष्य के समक्ष आ सकती हैं।

Prakritik-Aahar
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अक्सर आपने देखा होगा कि टीवी पर खाने-पीने की ऐड आती रहती है या फिर एडवर्टाइजमेंट दिखाई जाती है। जो केमिकल युक्त खाद्य-पदार्थ होते हैं। जो की टीवी पर एडवरटाइजिंग द्वारा कंपनी अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचाना चाहती है। मानो अगर इंसान इन खाने-पीने की चीजों को अगर ना ले तो उसके शरीर का विकास ही रुक जाएगा। सोचने वाली बात है आज से कुछ समय पहले जब खाद्य पदार्थ की केमिकल युक्त प्रोडक्ट लॉन्च करने वाली कंपनियां मार्केट में नहीं थी। तो आज की तुलना में पहले के लोग ज्यादा स्वस्थ रहते थे। वजह साफ है खाने-पीने की चीजों में मिलावट।

Prakritik Aahar के नाम पर मिलावट क्यों ?


                            आप इन चीजों को महसूस कर सकते हैं, देख सकते हैं। आज जितना ज्यादा से ज्यादा खाद्य-पदार्थ को लांच करने वाली कंपनियां मार्केट में आ रही हैं। लोग उतने ही गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं। उससे भी हैरानी की बात तो यह है की लोग भलि भांति परिचित है कि अधिकतर चीज़ों में मिलावट है ,फिर भी लोग बड़े चाव से उनका इस्तेमाल कर रहे है ।


 लोग टीवी में दिखाई जाने वाली खाने-पीने की आकर्षक वस्तुएं घर पर खरीद कर ले आते हैं। जिसे वह स्वयं और अपने बच्चों को खिलाते हैं। खतरनाक बीमारियों को न्योता देते हैं। और जब गंभीर बीमारी से ग्रसित हो जाते हैं तो इलाज कराने के लिए हॉस्पिटल का चक्कर काटते रहते हैं। और अपने जिंदगी में कड़ी मेहनत से कमाए हुए पैसे इन्हीं में झोंक देते हैं। है ना हैरानी की बात लोगों को साग-सब्जी, दाल- रोटी, चावल, फल-फूल जैसी अच्छी और टिकाऊ चीजें अच्छी नहीं लगती, जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी हैं। जिससे किसी तरह का कोई खतरा नहीं है वह चीजें लोगों को अच्छी नहीं लगती। लेकिन लोगों को कंपनियों द्वारा बनाए गए केमिकल युक्त खाद्य-पदार्थ पसंद आते हैं। जिसे लोग बड़े-बड़े मेगा स्टोर से खरीद कर लाते हैं, जहां पर बड़े-बड़े लेवल लगे होते हैं, जो बहुत महंगे होते हैं, और मुफ्त में खतरनाक बीमारियां भी देते हैं। जिनके इलाज के लिए लोग बाद में अच्छा खासा पैसा भी लगाते हैं। लोगों को ऐसी चीजें ही पसंद आती हैं। कई कंपनियां तो लोगो को be- natural या Prakritik Aaahar के नाम पर केमिकल युक्त खाद्य-पदार्थ बेच कर भारी मुनाफा कमा रही है ।


Prakritik-Aahar
Prakritik-Aahar

                       

                         ऐसा भी देखा गया है कि हमारे भारत में जितने भी खाने पीने की चीजें होती हैं। जो क्लास वन की होती हैं। वह विदेशों में भेज दी जाती हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्यों भेजी जाती हैं ? तो इसका जवाब आता है कि यहां पर उस क्वालिटी के हिसाब से इतने पैसा नहीं मिलते। अब दिक्कत तो यही है कि सारी चीजों को पैसों से तौल दिया जाता है। लोग अपनी तरक्की के साथ-साथ समाज कल्याण की बात तो सोचते ही नहीं है। हर कोई चाहता है कि वह जिस भी रेस्टोरेंट में जाए वहां पर साफ-सफाई हो, खाना एकदम साफ-सफाई से बनाया गया हो, एकदम ताजी सब्जियां और तेल का इस्तेमाल किया गया हो। लेकिन अगर किसी इंसान का खुद का रेस्टोरेंट्स हो तो वह खुद वह सारी सुविधाएं दुसरे लोगो को अपने रेस्टोरेंट में नहीं दे पाएगा। क्योंकि हर व्यक्ति को दुसरो से अच्छे की उम्मीद होती है लेकिन वह वो सब दुसरे के लिए नहीं करना चाहता जो वह दुसरो से अपने लिए उम्मीद करता है।

                          सोचिए जब हर कोई अपने तक ही सीमित है। तो फिर यह शिकायत हि क्यों की जाती है कि हमारे यहां  इस चीज की कमी है ? या फिर हमारे यहां पर यह सुविधाएं नहीं हैं ? इसे ठीक किया जाना चाहिए। लेकिन सवाल उठता है करेगा कौन ? क्योंकि हर कोई तो अपना-अपना सोचने में लगा हुआ है। ज्यादातर लोगों की इसी तरह की सोच है तो फिर अच्छे की उम्मीद किस से की जाए या फिर कोई देश हित की बात ही क्यों करें। जब अपने देश के लोगों को अच्छे खाने-पीने की चीजें उपलब्ध नहीं होंगी। तो हमारे लोग कैसे स्वस्थ रहेंगे। कैसे वह अपना समय अपने और समाज के कल्याण के लिए काम करने में लगाएंगे। लोग अपना अधिकतर समय और पैसा बीमारियो के इलाज कराने में लगाएंगे।

Prakritik-Aahar
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Prakritik Aaahar और मानव निर्मित खाद्य बेहतर कौन ??


                        हमारे देश में उल्टा होता है। बाहर की देशों की फूड इंडस्ट्री जो विदेशों में या फिर यूं कहें स्वयं खुद के देश में बंद कर दी गई हैं। लेकिन आज भारत में हमारे अपने देश में वह अपना कारोबार बहुत अच्छे से चला रहे हैं। हमारे यहां के लोगों को अपना देसी खान-पान पसंद नहीं आता। उन्हें तो पिज़्ज़ा, बर्गर, हॉट डॉग, इटैलिक, रशियन और जैपनीज फूड इत्यादि खाने पर गर्व जरूर महसूस होता है। अब सवाल ये उठ रहा होगा के इसमें गर्व महसूस करने वाली जैसी बात क्या है ? चलिए बताते हैं आपने अक्सर ऐसे लोगों को देखा होगा जो बाहर अपने यहां के खान-पान का बखान करते हैं। शुद्ध शाकाहारी भोजन और सात्विक भोजन का बखान घास-फूस कहकर करते हैं और विदेशी खान-पान का गुणगान करते हैं। हमें भारतीय खाना-पान पसंद नहीं है। हम तो इटालियन फूड खाते हैं इत्यादि....

                     हर व्यक्ति की खान-पान और पहनावे इत्यादि को लेकर अपनी निजी राय और पसंद होती है। और कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद और नापसंद किसी दूसरे व्यक्ति पर थोप नहीं सकता। लेकिन हर जगह अपनी पसंद और नापसंद का बखान करते रहना, दिखावा करना, अपने यहां की चीजों को बेकार बता देना और फिर गर्व महसूस करना वो भी झूठी शान के लिए कहां तक जायज है ?

Prakritik-Aahar
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Prakritik Aaahar मिलावट से परे और स्वास्थ्यवर्धक होते है । 

 यदि आप भी खाने-पीने की वस्तु खरीदने के लिए बाहर जाएं तो निम्न चीजों पर ध्यान अवश्य दें-

(1) सोडियम बेंजोएट:-इसका इस्तेमाल तरल और कुछ खाद्य पदार्थों को प्रिजर्व करने के लिए किया जाता है जैसे फ्रूट जूस, सॉस, अचार आदि। जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है।

(2) ट्रांसफैट:- जब वनस्पति तेल में हाइड्रोजन मिलाय जाता है तो इसमें ट्रांसफैट की मात्रा बढ़ जाती है। इससे खाद्य पदार्थ लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। लेकिन यह हृदय रोग का कारक होता है।

(3) रिफाइंड ग्रेन्स:- वाइट पास्ता, वाइट ब्रेड, वाइट राइस इससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें स्टॉर्च की मात्रा अधिक होती है। जिससे मोटापा बढ़ता है।

 (4) फ्रक्टोज कोर्नसिरप:- फ्रक्टोज कोर्नसिरप नेचुरल स्वीटनर्स से सस्ता होता है। जिसे वीट ब्रेड, गेम बर्गर वन, मफिंस, बीयर, सॉफ्ट ड्रिंक और केचप में मिलाया जाता है। जिससे हृदय रोग और मधुमेह की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है।    

(5) सोडियम नाइट्रेट:- इसे हॉट-डॉग, बर्गर और सॉसेज आदि को प्रिर्जव करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे अस्थमा और फेफड़े के रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।

(6) एस्परटेम:- अक्सर लोग इसे शुगर फ्री कम मीठा होने के तौर पर लो कैलोरी डाइट फूड में शक्कर के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल करते हैं जिससे नेत्र रोग, सिर दर्द, माइग्रेन होता है।

(7) प्रॉपाइल गैलेट:- वेजिटेबल ऑयल, मीट उत्पाद, चिंगम और रेडी टू युज सूफ और रेडी टू यूज चीजों में इसका प्रयोग किया जाता है। जिससे खाद्य पदार्थ को एक लंबे समय तक सड़ने-गिरने से बचाया जा सके लेकिन यह पेट में कैंसर का खतरा बढ़ाता है।

Prakritik-Aahar
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यह ऐसे कुछ रसायन हैं जो खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक प्रिजर्व करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिन्हें आप जब खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए जाते हैं। तो इन बातों का ख्याल रखें कि यह चीजें उन खाद्य पदार्थों में ना हो। फूड इंडस्ट्री को आपकी सेहत से कोई लेना-देना नहीं होता है वह तो अपनी चीजों को अच्छे से पेश करेंगे । उन्हें अपना प्रोडक्ट बस मार्केट में बेचना होता है। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि जो चीज आप मार्केट से खरीद के ला रहे हैं, और जिन्हें आप खा रहे हैं उनसे आपकी सेहत पर क्या असर पड़ेगा। इन सब चीजों से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता है। लेकिन उन्हें इस बात से जरूर फर्क पड़ता है कि जो प्रोडक्ट वह मार्केट में सेल कर रहे हैं वह कितना लॉन्ग प्रिजर्वेटिव है। उदाहरण के तौर पर- ब्रेड, टमाटो सॉस, जूस, कॉलड ड्रिंक इत्यादि जिनका ब्रांड है।

               डॉ बी.एम हेगडे जो एक हृदय रोग विशेषज्ञ, पेशेवर शिक्षक और लेखक हैं। जिन्हें 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। जो बहुत सारे रिसर्च में इंवॉल्व थे। जो चुनिंदा डॉक्टरों में से एक है जो मेडिकल इंडस्ट्री के बारे में खुल के बात करते हैं उन्होंने भी इस विषय में अपनी कई विशेष राय दी है।

                  " हम दिन प्रतिदिन बाह्य देशों के खान-पान के अधीन होते जा रहे हैं। जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। हमें उसे बढ़ावा नहीं देना चाहिए। हमें ऐसी विदेशी कंपनियां का बहिष्कार करना चाहिए। जो विदेशों में बंद हो चुकी है। लेकिन भारत में अपना बिजनेस बढ़ा रही हैं और जिससे लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। कंपनी द्वारा प्रिजर्वेटिव फूड के बजाय हमें अपने देसी फूड को अहमियत देनी चाहिए"।


Prakritik Aahar के महत्ववता को समझे और सात्विक जीवन को अपनाए 



Prakritik-Aahar
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महान् है हमारी भारतीय संस्कृति, भारतीय शैली, भारतीय पद्धति आज के आधुनिक युग में हमने अपनी चीजों को पीछे छोड़ दिया है। भले ही सब कुछ डिजिटलाइजेशन हो चुका है। यदि हम अपने भारतीय शैली को अपनाए और सात्विक भोजन (जो की Prakritik Aaahar होता है और अत्यंत शाकाहारी होता है) करते हैं। तो मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि हमारी जिंदगी और हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो जाएगा। हमारे भारतीय संस्कृति, भारतीय शैली में बहुत सी ऐसी चीजें हैं जिन पर हम ध्यान नहीं देते और ना ही उन्हें अहमियत देते हैं लेकिन वह बहुत ही काम की चीज होती हैं। एक छोटा सा उदाहरण लेते हैं जहां आज पूरी दुनिया करोना वायरस से पीड़ित है। जब कभी कोई व्यक्ति किसी से मिला करता था तब पश्चिमी सभ्यता के अनुसार लोग हैंडसेक करके एक-दूसरे का अभिनंदन करते थे। लेकिन जब से करोना वायरस पूरी दुनिया में कहर बरपा रहा है। तब से लोग भारतीय संस्कृति में  एक-दूसरे का अभिनंदन हाथ जोड़कर नमस्कार करके कर रहे है। आज पूरी दुनिया एक दूसरे का अभिनंदन करने के लिए भारतीय संस्कृति के नमस्कार को अपना रही है। इसी से पता चलता है कि जहां सब मार खा जाते हैं वहीं भारतीय संस्कृति और सभ्यता इस्तेमाल में लाई जाती है।

किसी भी खाद्य -सामग्री से जुड़ी मिलावट और शिकायत के लिए आप भारत सरकार की अग्रणी फ़ूड एंड मोनिटरिंग संस्था FSSAI की अधिकारिक website पर complaint दर्ज करे - यहाँ click करें



                           

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